समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
झगड़ालू बहू को संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं, तो फिर वह कहां जाए?
पति-पत्नी में लड़ाई होना अलग बात है लेकिन एक बहू (daughter in law) अपना ससुराल अपना घर छोड़कर आखिर कहां जाएगी. शादी के बाद मायके में ज्यादा दिन रहने पर समाज वाले अलग ताना मारते हैं. वहां मायके वाले खुद शादी के बाद बेटी की जिम्मेदारी से घबराते हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 6-मिनट में पढ़ें
ससुराल वालों के साथ नहीं रहने वाली महिलाएं क्या स्वार्थी होती हैं?
बेटी को लेकर तो लोगों की सोच बड़ी उदारवादी और मॉडर्न हो गई है लेकिन बहू का नाम सुनते ही अचानक विचार क्यों बदल जाते हैं? आज भी लोग बहू को लेकर संकुचित सोच रखते हैं और बोझ बूह के सिर पर ही आता है. जब आप घर में बहू से अच्छी तरह से व्यवहार नहीं करोगे, उसे दिन-रात ताने मारोगे, उसे नीचा दिखावोगे तो उसका आपके साथ रहने का मन कैसे करेगा?
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
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